Nov 9, 2021 · प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi)- छात्रों की सहायता और जानकारी के लिए हम प्रदूषण पर निबंध लेकर आए हैं। छात्र इस लेख की सहायता से प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh ... ... Jan 5, 2024 · प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) - प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक ... Jan 13, 2017 · बेरोजगारी पर निबंध (Essay on Unemployment in Hindi) सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi) जल संरक्षण पर निबंध (Save Water Essay in Hindi) कंप्यूटर पर निबंध (Computer Essay in Hindi) ... Oct 8, 2024 · प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): प्रदूषण का अर्थ है - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, इसका मतलब है कुछ भी शुद्ध न मिलना, न ही शुद्ध वायु, न शुद्ध जल, न शुद्ध ... ... Jun 5, 2024 · Essay on Pollution in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है-इस दुनिया में भूमि, वायु ... ... Jan 22, 2020 · पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran ... ... प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। ... Dec 5, 2022 · हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi - प्रदूषण क्या है, कारण, प्रकार, प्रभाव, नियंत्रित के उपाय ... ध्वनि प्रदूषण पर निबंध- Noise Pollution Essay in Hindi. ध्यान दें– प्रिय दर्शकों Essay on Pollution in Hindi & Paryavaran Pradushan पर लिखा हुआ निबंध आपको अच्छा लगा तू जरूर शेयर करे । ... ">
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) : हमारे देश भारत सहित दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है और प्रदूषण जनित कई रोगों का शिकार हो रही है। लगातार बढ़ रहे इस प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए वैश्विक स्तर पर कई तरह की पहल बीते दशकों से की जा रही है। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर से लेकर स्कूल स्तर तक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन कर बच्चों से लेकर बड़ों तक को प्रदूषण पर नियंत्रण (pollution control) के उपाय बताकर उन्हें अमल में लाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसी कड़ी में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) विषय पर तैयार इस लेख के माध्यम से छात्र न सिर्फ एक अच्छा निबंध लिख सकते हैं, बल्कि प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर भाषण

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day in hindi) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

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प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Questions (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

pollution for hindi essay

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): हिंदी में प्रदूषण पर 200-500 शब्दों में निबंध

Updated On: October 08, 2024 04:43 PM

  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay …
  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay …

प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)

प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण: वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण: जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण: भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। प्रकाश प्रदूषण: बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण: ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण: ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं: कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)- हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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Essay on Pollution : प्रदुषण पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैम्पल्स

pollution for hindi essay

  • Updated on  
  • June 5, 2024

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। प्रदूषण की समस्या को समझते हुए कई बार विद्यार्थियों को इसके ऊपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहां Essay on Pollution in Hindi दिया गया है, जिसे आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजक्ट में प्रयोग कर सकते हैं।

This Blog Includes:

प्रदूषण के बारे में, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द , प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदूषण के प्रकार , प्रदुषण पर कोट्स.

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है। प्रदूषण (संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

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Essay on Pollution in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

यह भी पढ़ें : प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

Essay on Pollution in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है-

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

जल प्रदूषण : उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

भूमि प्रदूषण : वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण : ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण : प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Pollution in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य   निबंध से संबंधित ब्लॉग्स   पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)

“प्रदूषण”, एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई नफरत करता है। प्रदूषण किसी को पसंद नहीं, फिर यह आता कहां से है? इसके लिए इंसान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं है। यह मानव और उनकी गतिविधियाँ हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करती हैं। हमें अपने घर की सफाई करना अच्छा लगता है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जिस वातावरण में हम सांस लेते हैं वह भी हमारा घर है। बढ़ता प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ सभी जीवित प्राणियों को भी प्रभावित करेगा।

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein)

आइए, हम छोटे और बड़े निबंधों के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण के कारण और गहरे प्रभाव को समझें।

निबंध – 1 (300 शब्द)

प्रदूषण गंदगी, अशुद्धियों या अन्य दूषित पदार्थों का सम्मिलन है जो मौजूदा प्रक्रिया में प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। जब ये अशुद्धियाँ पर्यावरण को प्रभावित करती हैं, तो हम इसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। वे पदार्थ जो प्रदूषण में योगदान करते हैं, प्रदूषक कहलाते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख योगदानकर्ता हैं। यह प्रदूषण या तो मानवीय गतिविधियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होता है।

प्रदूषण के प्रभाव

प्रदूषण का हर प्राणी पर नकारात्मक और खतरनाक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचाता है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती दर के कारण मनुष्य विभिन्न रोगों का शिकार हो सकता है। इसके कारण कई जीवों का जीवन गंभीर खतरे में है। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई प्रदूषण की चपेट में है।

मनुष्यों के अलावा, प्राकृतिक संसाधन भी इस प्रमुख चिंता से ग्रस्त हैं। प्रदूषण के कारण हवा पीली हो रही है और पानी काला हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती गति पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ देती है। अन्य जीव जैसे जलीय प्रजातियां, पौधे और वन्यजीव भी खतरे में हैं। हम कुछ प्रजातियों में मृत्यु दर की बढ़ी हुई संख्या देख सकते हैं।

पहले का जीवन आज की तुलना में बहुत बेहतर था। पहले लोगों के पास उन्नत तकनीक नहीं थी, लेकिन उनके पास सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और पीने के लिए पानी था। इससे उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती थी। लेकिन आज एक छोटा बच्चा भी बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण कई बीमारियों की चपेट में है। अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो वह समय दूर नहीं जब हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और हमारा जीवन थम जाएगा।

निबंध – 2 (400 शब्द)

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान करना। इस समस्या के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वे वर्तमान का आनंद ले रहे हैं लेकिन भविष्य के परिणामों से अनजान हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ेगा। इसलिए हमें इस समस्या को और गंभीरता से लेने की जरूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख प्रकार कुछ इस तरह हैं:

वायु प्रदूषण : वातावरण में वायु को प्रदूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी विभिन्न गैसें सांस लेने के लिए अत्यधिक जहरीली होती हैं।

जल प्रदूषण : जल में अशुद्धता, अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ आदि का निर्वहन जल प्रदूषण कहलाता है। लोग जल निकायों में कचरा, प्लास्टिक आदि फेंकते हैं। परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि / मृदा प्रदूषण : अपशिष्ट और अजैव निम्नीकरणीय सामग्री को मिट्टी में जमा करने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। अजैव निम्नीकरणीय कचरा मिट्टी को अनुपजाऊ बना देता है। मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता इसे पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए अपर्याप्त बनाती है।

पर्यावरण प्रदूषण में युवाओं की भूमिका

नई पीढ़ी या युवाओं की जीवनशैली पर्यावरण प्रदूषण में अधिक योगदान दे रही है। तकनीकी कार्यान्वयन के कारण वे आलसी होते जा रहे हैं। अब वे बाइक और कारों का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल साइकिल के बजाय अधिक वायु प्रदूषण पैदा करती हैं। उनकी आराम की जरूरत विनिर्माण उद्योगों द्वारा पूरी की जाती है जो वायु और जल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।

हालाँकि, युवा अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाकर पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल आदत अपनाने से उन्हें इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। पेड़ लगाना, साइकिल चुनना या आस-पास की दूरी के लिए पैदल चलना आदि एक बड़ी मदद होगी।

पर्यावरण प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है जो हमारे आने वाले भविष्य को खोखला कर देगा। प्रदूषण वर्तमान के लिए खतरनाक है और भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में बदल रहा है। इस असंतुलन के लिए हर इंसान जिम्मेदार है। इसलिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है, आज एक छोटी सी मदद कल एक बड़ी खुशी लौटाएगी।

निबंध – 3 (500 शब्द)

हम पृथ्वी पर रहते हैं, जो एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। यहां मौजूद हवा, पानी और मिट्टी जैसे संसाधन सीमित हैं। उन्हें प्रदूषित करने का मतलब है कि हम खुद को मुश्किल में डाल रहे हैं। हर दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:

  • औद्योगीकरण : बड़े उद्योग हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। साथ ही हानिकारक रसायनों को सीधे जल निकायों में छोड़ दिया जाता है। वे अधिकांश पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • आधुनिकीकरण : हम आधुनिक संस्कृति को बहुत गर्व से स्वीकार कर रहे हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोई कम दूरी के लिए भी साइकिल का उपयोग नहीं करना चाहता। प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग : रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाते हैं। जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं जो बाद में अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग में बदल सकती हैं।
  • प्राकृतिक कारण : कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, ज्वालामुखी आदि को प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वे मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि के लिए जिम्मेदार हैं।

नियंत्रण और रोकथाम के लिए कदम

कुछ बातों का पालन करके और कुछ स्वस्थ आदतों को अपनाकर आप पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में आसानी से योगदान दे सकते हैं। जैसे की:

  • साइकिल को प्राथमिकता दें।
  • प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के बजाय बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुनें।
  • अशुद्ध और जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें।
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
  • नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें।
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दे।

पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना करना हृदय विदारक है। अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित होगा तो हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी। शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की कीमत चुकानी पड़ेगी।

इसके अलावा, मनुष्यों का जीवनकाल कम हो जाएगा और वे कई खतरनाक बीमारियों के शिकार होंगे। पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्ष करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा।

बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है। आधुनिकीकरण हमें आरामदायक और आनंददायक जीवन दे रहा है, लेकिन दूसरी ओर, इसका प्रभाव हमारे जीवन के दिनों को सीमित कर रहा है। इसलिए, एक साथ लड़ने और इस समस्या से बाहर निकलने का समय आ गया है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Environmental Pollution (पर्यावरण प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर. दुनिया के बढ़ते प्रदूषण में भारत तीसरे नंबर पर है।

उत्तर. तुर्की, फ्रांस, पोलैंड आदि कुछ पर्यावरण के अनुकूल देश हैं जहां सबसे कम प्रदूषण है।

उत्तर. 2022 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), चीन, इराक आदि कुछ अत्यधिक प्रदूषित देश हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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Sabbd milan apne accha nahi kiya hai Aur soch badiya hai

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Thanks for Writing here !

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क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

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The best essay thank you sir

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Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध

इस लेख / निबंध में आप प्रदूषण की समस्या और प्रदूषण को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है।प्रदूषण आज दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए है हमे मिलकर इसका सामना करना होगा। Here we providing Essay on Pollution in Hindi- you will get know-What is Pollution, type of pollution,  Causes of pollution &  Measures to Prevent Pollution, Pollution Essay in Hindi for class 5,6,7,8,9,10,11,12

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध ( पोल्लुशन पर एस्से )

प्रदूषण पर निबंध in 100 words

प्रदुषण आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है और इसका उत्पन्न मनुष्य की गतिविधियों से हुआ है। उसने अपनी प्रगति के लिए कारखानों वाहनों का निर्माण किया जिससे निकलने वाला धुआँ वातावरण को प्रदुषित करता है। प्रदुषण के कारण स्वास्थय पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें बढ़ते हुए प्रदुषण को रोकने की आवश्यक्ता है जिसके लिए हमें ज्यादा सो ज्यादा पेडय लगाने चाहिए और पर्यावरण को दुषित करने वाली चीजें जैसे पॉलीथीन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। वातावरण को प्रदुषण मुक्त बनाना हमारा कर्तव्य है।

Pollution Essay in Hindi ( 150 words )

पर्यावरण- प्रदूषण का अर्थ है- वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है वाय-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है-बढ़ती जनसंख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ वायुमंडल में साँस लेना दूबर हो जाता है। जल-प्रदषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही है।परिणामस्वरूप हमें प्रदूषित फसले मिलती है और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपूओं, फैक्टरियों रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ रही हैं। प्रदषण से मुक्ति के उपाय हैं आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को काम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनपान करना। घातक बीमारियां पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना अदि। आज यह समस्या विश्व भर में व्याप्त है। इसलिए विश्व-समुदाय को मिलकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे।

Pradushan essay in Hindi ( 200 words )

प्रदुषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिससे हमारा समस्त वातावरण दुषित होता जा रहा है और इसका नकारात्मक प्रभाव सभी जैविक और अजैविक चीजों पर पड़ता है। पृथ्वी में भौतिक और रसायनिक तत्वों में बदलाव होने के कारण प्रदुष होता है यानि कि किसी भी चीज का दुषित होना प्रदुषण कहलाता है। प्रदुषण चार प्रकार होता है जैसे वायु प्रदुषण, दल प्रदुषण, भूमि प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण। इसके कारण जलवायु में भी परिवर्तन होता है बहुत सी बिमारियाँ भी फैलती हैं। मनुष्य के क्रिया कलापों के कारण ही वातावरण में प्रदुषण की मात्रा बढ़ी है। पेड़ काटने, खुले में कचरा फेंकने, पॉलीथिन आदि के प्रयोग से प्रदुषण में वृद्धि हुई है।

प्रदुषण के कारण लोगौं का जीवन दुष्वार होता जा रहा है और हमें इस बढ़ते प्रदुषण को रोकने की आवश्यकता है अन्यथा एक दिन वनस्पति और मनुष्य का जीवन खतरे में आ जाऐगा। हमें पेड़ो को काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और पर्यायवरण के लिए हीनिकारक वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रदुषण को रोकने का उपाय हम सबको मिलकर करना होगा और वातावरण को सुरक्षित रखना होगा। प्रदुषण से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बताना चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए।

Essay on Pollution in Hindi ( 800 words )

भूमिका – मानव ने जब प्रकृति माता की गोद में आँखें खोलीं तो उसने अपने चारों ओर उज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान पाया। वन प्रदेशों की मनोहर हरियाली में उसने जीवन के मधुरतम सपने देखे। उसका पेड़-पौधों से, फल, फूलों से, चहकते पक्षियों से, प्रभात और संध्याबेला से नित्य का संबंध था। प्रकृति के आंगन में खेलते हुए उसने पाया पुष्ट , निरोग शरीर और उत्साह-उल्हास से लबालब तनावहींन मानस। किन्तु धीरे-धीरे उसके मन में प्रकृति पर शासन करने की लालसा जागी। उसने प्रकृति को माँ के स्थान से हटाकर दासी के स्थान पर धकेलना चाहा। इसको नाम दिया गया ‘वैज्ञानिक-प्रगति।” आज वैज्ञानिक युग में मानव जीवन के सामने अनेक समस्याएं है। विज्ञानं ने जहा एक और सुख सुविद्याएँ उत्पन करके मानव जीवन को सुखी बनाया, वहां मनुष्य के जीवन में अनेक दुखो को भी जनम दिया है। अंत: विज्ञानं अगर वरदान है तो अभिशाप भी है। आज प्रदूषण विज्ञानं का प्रमुख अभिशाप है जिसे संसार के अधिकतर लोगो को भोगना पड़ रहा है। प्रदूषण की यह समस्या सारे संसार में फैल चुकी है।

प्रदूषण के प्रकार ( Types of pollution )

आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण के मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं –

1. जल प्रदूषण ( Water Pollution ) – जल मानव-जीव के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परंपरागत स्रोत हैं- कुएँ तालाब, नदी तथा वर्षा का जल । प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जल स्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अकथनीय है। गंगा यमुना, गोमती सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी है।

2. वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) -वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वादु निरंतर शरीर में जाती है। आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा खंड प्रलय मचाते रहते हैं।

3. खाद्य प्रदूषण ( Food pollution ) -प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशुपक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

4. ध्वनि प्रदूषण ( Noise pollution ) -आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा है। कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्यक्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति की किरपा के फलसरूप आज मनुष्य कर्कश, असहनीय और श्रवणशक्ति को क्षींण करने वाली ध्वनियों के समुद्र में रहने को मजबूर है। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर आदि सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

प्रदूषण बढ़ने के कारण ( Causes of pollution )

-प्राय: हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्ध के लिये हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति  तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। चर्म उद्योग, कागज़ उद्योग, छपाई उदयोग, वस्तर उदयोग और नाना प्रकार के रासायनिक उद्योगों का कचरा और प्रदूषित जल लाखों लीटर की मात्रा में रोज़ नदियों में बहाया जाता है या जमीन में समाया जा रहा है। गंगा जल जोकि वर्षों तक शुद्ध और अविकृत रहने के लिए प्रसिद्ध था, वह भी हमारे पापों से मलीन हो गया है।

वाहनों का विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में गरल घोल रही हैं। प्रगति और समृद्ध के नाम पर जहरीला व्यापार दिन दुगुना बढ़ता जा रहा है। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक, वैज्ञानिक और जीवन स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछुंदर जैसी हो रही है।

प्रदूषण रोकने के उपाय ( Measures to Prevent Pollution )

– प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। इसका पूर्ण रूप से उन्मूलन न भी हो सके तो इसे हानिरहित सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये कुछ कठोर, अप्रिय और असुविधाजनक उपाय भी अपनाने पड़ेंगे।

प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिये। उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिये।

ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति भी तभी मिलेगी जब कि वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग रोका जाए। हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बने और वायु मार्ग भी बस्तियों के ठीक ऊपर से न गुजरें। रेडियो, टेप तथा लाउडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए।

उपसंहार- प्रदूषण की समस्या मनुष्य का अदृश्य शत्रु है। धीरे धीरे यह मानव-जीवन को निगलने के लिये बढ़ी आ रही है। यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिये तरस जायेगा। प्रशासन और जनता दोनों प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है। गंगा सफ़ाई अभियान प्रशासन का ऐसा ही प्रयास था, किंतु ये आयोजन सिर्फ एक प्रशासकीय फैशन या तमाशा बन कर नहीं रह जाएं। एक स्वच्छ और स्वास्थ्यकर विश्व में रहना है तो प्रदूषण से लड़ना ही होगा।

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